दयालु हाथी [Kind Elephant]
ईश्वरचंद नामक एक व्यक्ति था| एक दिन वाराणसी के बाज़ार में घूमते हुए, उसने हाथी दातं से बनी सुंदर-सुंदर बस्तुएँ देखी| वह कुछ सामान खरीदना चाहता था पर वह तो काफी कीमती था|
उसने दुकानदार से प्राथना की कुछ दाम कम लेने की, परन्तु उस दुकानदार ने यह कह मना कर दिया की यह सब हाथी के दातं से बनी वस्तुए है और तुम्हे पता तो होगा ही, हाथी दातं लाना कितना मुश्किल है|
यह सुनकर अचानक उसे जंगल में रहने वाले हाथी दोस्त की याद आई| उसने पहले भी उसकी काफी मदद की थी| उसने सोचा की अगर वह उसके दातं लाकर बाज़ार में बेच दे तो काफी धन कमा सकता है|
वह भागा-भागा जंगल में गया| हाथी उसे देख बहुत प्रस्सन हुआ| उसने पूछा-“दोस्त! इतने उदास क्यों दिख रहे हो?” जल्दी बताओ क्या बात है?
ईश्वरचंद ने कहा- “देखो, तुम्हारे दातं काफी कीमती है अगर इनमे से कुछ हिस्सा दे सको, तो मैं इन्हें बेच कर उधार चुकता कर दूँगा|”
“इतनी सी बात हैं” कह कर हाथी ने उसे दातं तोड़ने की इज़ाज़त दे दी|
एक पल का भी इंतजार किये बिना ईश्वरचंद ने हाथी के दोनों दातं आधे-आधे काट लिए| वह हाथी को उसकी दयालुता के लिए धन्यवाद दे कर लौट गया|
अगले दिन वह बाज़ार गया| उन दांतों को काफी ऊची कीमत पर बेच दिया| उन पैसों से बढ़िया कपड़े, घर का सामान और मिठाइयाँ खरीद लीं| फिर भी काफी सारे पैसे बच गये थे | ईश्वरचंद आलसी और कामचोर हो गया | वह शराब और जुए में पैसे उड़ाने लगा| जल्दी ही सारे पैसे ख़त्म हो गये और उसका परिवार भूखा मरने लगा|
वह फिर हाथी दोस्त के पास जा पंहुचा| हाथी उसे देख कर खुश हुआ| उसने उसे पीठ पर बैठाकर सारे जंगल की सैर कराई| रास्ते में हाथी को लगा कि उसका दोस्त उदास है, उसने तुरंत उससे उदासी का कारण पूंछा तो ईश्वरचंद बोला|
“मेरे दोस्त धन ख़त्म हो गया, परिवार भूखा मर रहा हैं|”
हाथी को उसके परिवार की बुरी दशा जान कर अफ़सोस हुआ| उसने कहा-“चिंता मत करो| बताओ मैं? क्या मदद कर सकता हूँ?”
ईश्वरचंद बोला- “अगर तुम बचे हुए दातं भी मुझे दे दो बड़ा अहसान होगा “
तभी ज़मीन में गहरी दरार पड़ गई और उसमे से आग निकलने लगी| ईश्वरचंद आग में फस गया| उसने बचने की पूरी कोशिश की पर वो जल्दी ही राख में बदल गया|
उसे अपने दोस्त को धोखा देने की सजा मिल गई थी|
शिक्षा– “दुनिया में दोस्ती एक मात्र ऐसा रिश्ता है, जो खून के रिश्ते से भी बढकर होता हैं!”
इसलिए कभी भी अपने दोस्त को धोखा नही देना चाहिए| खासकर उस दोस्त को तो कभी नहीं जो हमेशा आपकी मदद के लिए तत्पर रहता हो|”
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