The Monkey and The Cap Seller Story
आज की कहानी बहुत ही मज़ेदार और ज्ञान से भरपूर है |यह कहानी बहुत पुरानी बात पर आधारित है | उत्तर भारत में एक सोनापुर नाम के गाव में एक राजू नाम का टोपी बेचनेवाला लड़का रहता था | वह दिन दिन भर एक गाव से दुसरे गाव तथा एक शहर से दूसरे शहर जा जा कर रंग-बिरंगी, छोटी-बड़ी सभी के लिए हर उम्र के लोगो के लिए टोपिया बेचा करता था |
बात बहुत पुरानी हे और उस समय एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए लोग पैदल ही यात्रा किया करते थे | इसलिए राजू भी टोपियो से लदी पोटली अपने कंधे में लादकर एक दिन वह एक नये गाँव की और जा रहा था |
उस गाँव का रास्ता एक घने जंगल के बीच से होकर गुजरता था साथ ही साथ उस घने जंगल में एक शरारती बंदरो की टोली भी रहती थी | बंदरो को टोली अक्सर वहा से आने जाने वाले राहगीरों को तंग किया करती थी जैसे की उन पर पेड़ो से फल फेकना उनके सामान को उठा ले जाना आदि |
यह बात राजू टोपीवाले को पता नही थी और वह निरंतर बिना रुके काफी लम्बे समय चला जा रहा था | टोपीवाला काफी देर से चलते रहने के कारण बहुत थका हुआ था | जिससे उसने सोचा कि वह पहले किसी पेड़ के नीचे बैठकर थोड़ा बहुत आराम कर लू और फिर आगे का सफ़र तय करूगा यही करना अच्छा होगा |
ऐसा सोचकर ही वह अपनी टोपियो की पोटली पेड़ के नीचे रखकर सो गया | राजू के थके होने के कारन उसकी जल्दी ही नीद लग गयी और वह गहरी नीद में सो गया | उसकी नीद लगी ही थी की तभी शरारती बंदरो की नज़र टोपियो की पोटली पर पड़ गयी फिर देर कहा लगने वाली थी सरे बंदरो ने अपनी फितरत के अनुसार आतंक मचाना शुरू कर दिया |
समस्त बंदर नीचे उतर कर आये और उन रंग-बिरंगी टोपियो से खेलने लगे | सारे बंदर खेलते हुए जोर जोर से आवाज करने लगे |
बंदरो के शोर गुल की आवाज से टोपीवाला जाग गया | राजू टोपीवाले के जागते ही बंदर सारी टोपिया लेकर वहा से भाग खड़े हुए और पास के पेड़ो पर चढ़ गए | बंदरो को टोपियाँ पेड़ो पर ले जाता देख राजू को कुछ समझ नही आया वह बस वेबस होकर बंदरो पर चिल्लाने लगा और गुस्सा होने लगा | सरे बंदर अपनी आदत से मजबूर उसे देखकर बंदर भी उसकी नक़ल करने लगे | तभी राजू ने गुस्से में आकर एक पत्थर उन पर फेंका |
नकलची बंदर भी कहा रुकने वाले थे अपनी नक़ल करने की आदत के अनूरूप बंदर भी फ़ौरन पेड़ से फल तोड़कर राजू पर फेंकने लगे | यह देखकर राजू को एक उपाय सूझा और उसने मुस्कुराते हुए अपने पास बची हुई टोपिया समेटी और उनमे से एक टोपी उठाकर पहन ली | यह देख बंदरो ने भी ठीक वैसा ही किया | अब इसके बाद राजू ने अपनी टोपी उतारकर ज़मीन पर फेंक दी |
यह देखकर सभी बंदरो ने भी अपनी-अपनी टोपी उतारी और नीचे फेंक दी | राजू ने बिना देर लगाये झट-पट
से सारी टोपियाँ उठाकर पोटली में बांध ली और ख़ुशी–ख़ुशी दुसरे शहर के लिए चल पड़ा |
The Monkey and The Cap Seller Moral :-
- वास्तविक जीवन में भी कई बार नक़ल करने वालो से सामना होता है जिनसे भी बड़ी समझ बूझ से काम निकलना पड़ता है
- मुसीबत आने पर सदैव शांत मन से उसका हल खोजना चाहिए |
- अनजान जगह पर अपने सामान की सुरक्षा का ध्यान रखना जरूरी है| The Monkey and The Cap Seller.
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